उत्तर प्रदेश के बरेली में कोर्ट ने दुष्‍कर्म मामले में बयान से मुकरने वाली एक युवती को उतने ही दिन जेल की सजा सुनाई है जितने दिन तक आरोपी युवक कैद में रहा। साथ ही युवती पर 5 लाख 88 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने सजा सुनाते हुए सख्त टिप्‍पणी भी की है। कोर्ट ने कहा कि दुष्‍कर्म जैसे जघन्‍य अपराध में फंसाने के लिए युवती ने कानून का दुरुपयोग किया, इस तरह के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती।

दरअसल, ये मामला युवती के अपहरण व दुष्कर्म का है जिसमें एक युवक फंसा था। लेकिन हकीकत में युवक ने अपराध किया ही नहीं था। उसे लड़की की गवाही पर बेवजह 4 साल जेल की सजा मिली। लेकिन ट्रायल के दौरान युवती कोर्ट में अपने बयान से मुकर गई। आखिर में जब कोर्ट के सामने सच्चाई आई तो जज ने फैसला सुनाते हुए युवक को दोष मुक्त किया और युवती को भी उतनी ही सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि जितने दिन की युवक ने जेल में सजा काटी है, उतने ही दिन की सजा युवती को भी काटनी होगी।

इसके अलावा कोर्ट ने युवती पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा है यदि युवक जेल के बाहर रहता और मजदूरी भी करता तो इतने समय में 5 लाख 88 हजार से अधिक रुपये कमा लेता। इसलिए युवती से इतनी रकम वसूल करके युवक को दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो युवती को 6 महीने की अतिरिक्त सजा मिलेगी। 

2 सिंतबर 2019 को दर्ज हुआ था मुकदमा
बताया जा रहा है कि सितंबर, 2019 को बारादरी थाने में एक युवक पर युवती के अपहरण व दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसपर पुलिस ने युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस पूरे मामले में युवती ने युवक पर नशीला प्रसाद खिलाने और दिल्ली ले जाकर कमरे में बंद कर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। 

अदालत में मुकर गई युवती
शुरुआती गवाही के बाद युवक को 4 साल की सजा हुई, वो जेल चला गया। लेकिन आगे चलकर युवती इस मामले में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गई। जिसके चलते कोर्ट ने युवक को दोषमुक्त करार दे दिया। 

झूठी गवाही पर युवती पर मुकदमा
इस पूरे मामले में झूठी गवाही देने के लिए युवती पर मुकदमा दर्ज किया गया। केस की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश ज्ञानेंद्र त्रिपाठी की कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। 

कोर्ट ने कही ये बात
मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि इस तरह की महिलाओं के कृत्य से वास्तविक पीड़िताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। यह समाज के लिए बेहद गंभीर स्थिति है। अपने मकसद की पूर्ति के लिए पुलिस व कोर्ट को माध्यम बनाना आपत्तिजनक है। अनुचित लाभ के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात करने की छूट नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह मुकदमा उन महिलाओं के लिए नजीर बनेगा, जो पुरुषों से वसूली के लिए झूठे मुकदमे लिखाती हैं। 

कोर्ट ने यह भी कहा कि युवक ने जितने दिन जेल में बिताए, उतने दिन अगर वह मजदूरी करता तो कम से कम 5 लाख 88 हजार रुपये कमा लेता। इसलिए अब युवती से इतना ही जुर्माना वसूलकर उसे (युवक) दिया जाएगा। यदि युवती जुर्माना नहीं दे पाती है तो उसे 6 माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। 

इस पूरी घटना के बारे में Assistant District Government Counsel (Criminal) ADGC ने बताया कि ये वर्ष 2019 का मामला है। एक युवती की मां ने रेप का मुकदमा लिखाया था। जिसमें आरोपी अजय उर्फ राघव को जेल जाना पड़ा। जेल जाने के बाद जब उसका ट्रायल कोर्ट में चला तब पीडिता अपने बयानों से मुकर गई। उसने कहा कि युवक मुझे भगाकर नहीं ले गया था। ना ही कोई रेप किया था। तब कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया और झूठी  गवाही देने के कारण युवती को जेल भेज दिया साथ ही अभियुक्त राघव को रिहा कर दिया गया। कोर्ट ने युवती को साढ़े चार साल की सजा सुनाई है और जुर्माना भी लगाया है।

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